पहले भीतरी दुनिया को समझे, फिर बाहरी दुनिया को
दुनिया में अपना महत्व साबित करने का तरीका है कि पहले हम खुद का महत्व समझें। इसके लिए जरूरी है स्वयं के भीतर उतरा जाए, अपने आप से साक्षात्कार किया जाए। हम समझें कि हममें क्या खुबियां और क्या खामियां हैं। इसके बिना हम हमेशा दुनिया से शिकायत ही करते रहेंगे।
सबका अपना अपना महत्व है। हम भी जरूरी हैं दुनिया के लिए यह एहसास सबको अच्छा लगता है। महत्वपूर्ण होना कौन नहीं चाहता। दुनिया में जितनी भौतिक प्रगति हुई है उसके पीछे मनुष्य का यह भाव भी रहा है मुझे महत्वपूर्ण माना और समझा जाए। पर आदमी केवल महत्ता पर टिक गया, वह यह भूलता ही जा रहा है कि उसकी एक सत्ता भी है, भीतरी सत्ता। असंयम की अति के कारण हमने अपने ही भीतर मुड़ना छोड़ दिया। बाहर हम महत्वपूर्ण माने जाएं इस शैली के कारण हमारी महत्ता तो कायम हो गई पर निर्भयता चली गई। अच्छे-अच्छे महत्वपूर्ण लोग भीतर से भयभीत
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