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Thursday, July 15, 2010

सफलता

सफलता के तीन आधार शार्ट-क्विक और परफेक्ट
हमारी जीवनशैली में दो-तीन बातें इतनी गहराई तक बैठ गई हैं कि हमारी सारी कार्यशैली, तरक्की और सफलता इससे प्रभावित हो रही है। ये आदतें हैं काम को टालना, छोटी बातों को भी बढ़ाचढ़ा कर बताना और पूरा जानते हुए भी अधूरा काम ही करना। बस ये ही हमारी राह के रोड़े हैं। आज प्रबंधन सिखाता है हर काम संक्षेप में, तेजी से लेकिन पूर्णता के साथ किया जाए।
अमेरिका जाने पर वहां लोग बताते हैं कि यहां की प्रगति के तीन कारण हैं। यहां हर काम लोग बहुत शॉर्ट, क्विक और परफेक्ट करते हैं। हम भारतीय इसमें चूक जाते हैं। शॉर्ट में हमारी रुचि कम ही रहती है चीजों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना हमारी शान में आ गया है। क्विक यानी तेजी से काम का परिणाम देने में हम इसलिए चूक जाते हैं कि करते हैं, क्या जल्दी है इसे भजन की तरह कई लोगों ने जीवन में उतार लिया है। धर्म की आड़ में पुनर्जन्म को मानकर हम जनम-जनम तक इन्तजार कर लेते हैं। कार्य में आलस्य इसी मानसिकता से पैदा होता है। परफेक्ट के मामले में भी हमारा सोचना रहता है काम हो गया, बस काफी है जबकि यह शतप्रतिशत सही परिणाम का जमाना है। हम कई बातों को सतही ले लेते हैं जबकि अब गहराई में उतरकर समझने का वक्त है। भारतीय संस्कृति इस मामले में बहुत धनी है कि उसके पास कई ऐसे शास्त्र, साहित्य हैं जो शॉर्ट, क्विक, परफेक्ट की पूर्ति करते हैं।
इनमें से एक है तुलसीदासजी की लिखी श्रीहनुमानचालीसा। इसका प्रत्येक शब्द जीवन- प्रबंधन के हर आयाम को स्पर्श करता है। इसमें हनुमानजी की योग्यता, दक्षता और समर्थता को बहुत ही शॉर्ट, क्विक और परफेक्ट के साथ तुलसीदासजी ने उतारा है। तीन मिनट में पूरी होने वाली ये पंक्तियां हर धर्म के संदेश की सुगंध लिए हैं। इसी स्तंभ में हर मंगलवार हम इसकी पंक्तियों से गुजर कर उस सुख को प्राप्त करने के सूत्र प्राप्त कर सकेंगे जो शांति भी दिलाएंगे। और सुख के साथ यदि शांति नहीं है तो सफलता अधूरी है।

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